Sunday, July 4, 2010

पहली बारिश और हम तुम....

 
 
 
आज बहुत कुछ बेहतरीन पढने को मिला .  

सोनल रस्तोगी जी, डॉ अभिज्ञात जी, रूपचंद्र शास्त्री जी जी  कविता, 

अलबेला खत्री जी  द्वारा प्रस्तुत सूक्तियां और साथ ही अन्य बहुत कुछ

............. आप भी आनंद लीजिये  मेरी तरह इन उम्दा प्रस्तुतियों का :


 
 
 
 
posted by Sonal Rastogi at कुछ कहानियाँ,कुछ नज्में - 22 hours ago
सिमटे सिमटे सीले सीले आधे सूखे आधे गीले पहली बारिश और हम तुम सुलगे सुलगे दहके दहके थोड़े संभले थोड़े बहके पहली बारिश और हम तुम चाय की प्याली गर्म पकोड़े मुंह में भरते सी सी...
 
  
 
श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर पर विश्वास *- महात्मा गांधी * श्रद्धा के मानी अन्धविश्वास नहीं है . किसी ग्रन्थ में कुछ लिखा हुआ या किसी आदमी का कुछ कहा हु...
 
 
 
posted by डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण - 1 day ago
दिल में कुछ-कुछ होता है, जब याद किसी की आती है। मन सब सुध-बुध खोता है, जब याद किसी की आती है। गुलशन वीराना लगता है, पागल परवाना लगता है, भँवरा दीवाना लगता है, दिल में कुछ-कुछ होता है, जब याद किसी की...
 
 
 
posted by AlbelaKhatri.com at Hasya Kavi Albela Khatri - 24 minutes ago
** *मनुष्य जाति ने जो कुछ किया, * *सोचा और पाया है * *वह पुस्तकों के जादू भरे पृष्ठों पर सुरक्षित है * *- कार्लाइल * * * *अच्छी पुस्तक वह है जो आशा से खोली जाये * *और लाभ के साथ बन्द की जाये * *ए...
 
 
posted by gkawadhiya@gmail.com (जी.के. अवधिया) at धान के देश में! - 1 hour ago
इक आग के दरिया में मै डूब के आया हूँ जिल्लत है मिली मुझको पर इश्क नहीं पाया हूँ कुचले हैं मेरे अरमां टूटी है मेरी आशा गैरों का सताया हूँ अपनों का रुलाया हूँ दिल में थे जितने अरमाँ आँखों में जितने सपने अपने...
 
 
 posted by Ritu Jain " Mystic Colors Of Life" at **Ritu Jain** - 13 hours ago
One can serve with the heart,not with the head.The heart alone,when tuned with humanity at large,can feel the throbs of another heart in the manner of natural empathy. 
 
 
posted by jagadishwar chaturvedi at नया जमाना - 19 hours ago
* *हाल ही में अमेरिका के इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन ने कॉपीराइट और बौद्धिक संपदा के कानूनों के उल्लंघन के मामले में जांच का काम आरंभ किया है। चीन के द्वारा की जा रही बौद्धिक संपदा की चोरियों के कारण ...
 
 
 
 
posted by AlbelaKhatri.com at Albelakhatri.com - 1 hour ago
पानी में अगर सिवार हो तो मनुष्य उसमे अपना प्रतिबिम्ब नहीं देख सकता . इसी प्रकार जिसका चित्त आलस्य से पूर्ण होता है, वह अपना ही हित नहीं समझ सकता, दूसरों का तो क्या समझेगा . * - महात्मा बुद्ध ...
 
  

posted by jagadishwar chaturvedi at नया जमाना - 1 day ago
इंटरनेट की गतिशीलता और बदले नेट संचार के आंकड़े बड़े ही दिलचस्प हैं। विश्व स्तर पर इंटरनेट के यूजरों की संख्या 1.6 बिलियन है। इसमें एशिया का हिस्सा आधे के करीब है। एशिया में 738 मिलियन इंटरनेट यूजर हैं। इ...
 
 

  • posted by डॉ.अभिज्ञात at यही सही - 1 day ago
    सुनता हूं कि मैं अबके निकाला गया तो हाऊंगा पृथ्वी लोक के बाहर भेज दिया जाऊंगा किसी और लोक में जहां बहुत कुछ होगा शायद हों कई जाने-पहचाने चेहरे समय की गर्द में समाये हुए मैं उस लोक की तैयारियों में लगा हूं सो...
     
     
     
     
     

3 comments:

  1. जिन्दा लोगों की तलाश!
    मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!


    काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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    सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।

    हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।

    इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।

    अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।

    आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-

    सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-

    (सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
    राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666

    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

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  2. ब्लोग्स कि चर्चाओं का अच्छा प्रयास है...

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